Thyroid | थायराइड क्या है ?
आजकल कई लोग Thyroid | थायराइड बीमारी से पीड़ित हैं. थायराइड में वजन बढ़ने के साथ हार्मोन असंतुलन भी हो जाते हैं. एक स्टडी के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायराइड विकार दस गुना ज्यादा होता है. इसका मुख्य कारण है महिलाओं में ऑटोम्यून्यून की समस्या ज्यादा होना है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, थायराइड हार्मोन शरीर के अंगों के सामान्य कामकाज के लिए जरूरी होते हैं.
Thyroid | थायराइड गले में स्थित एक ग्रंथि (Gland) का नाम है। यह ग्रंथि (Gland) गले के आगे के हिस्से में मौजूद होता है और इसका आकार एक तितली के समान होता है। दरअसल ये हमारे बॉडी की मेटाबोलिज़म (शरीर के अंदर जो क्रियाये हो रही है) उनको control करता है।
Thyroid | थायराइड की समस्याएं क्या होती हैं?
Thyroid Gland से produce होने वाले hormones शरीर में होने वाले सभी मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को affect करते हैं। थायराइड disorders से घेंघा जैसी छोटी बीमारी से लेकर जानलेवा कैंसर तक हो सकता है। लेकिन जो सबसे common थायराइड प्रॉब्लम होती है वो है थायराइड हॉर्मोन्स का सही मात्रा में प्रोडक्शन ना होना। इसमें दो तरह की समस्या आती है-
थायराइड के दो प्रकार — Two Types of Thyroid
1. Hyperthyroidism (हाइपरथायरायडिज्म / अतिगलग्रंथिता): ज़रुरत से अधिक hormones का प्रोडक्शन
2. Hypothyroidism (हाइपोथायरायडिज्म / अवटु-अल्पक्रियता): ज़रूअत से कम हॉर्मोन्स का प्रोडक्शन होना
इन समस्याओं की वजह से कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं, लेकिन अगर सही से diagnose करके इलाज किया जाए तो इन्हें अच्छे से manage किया जा सकता है।
Table of Contents
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म होने के कारण
ग्रेव्स’ डिजीज : — ये हाइपरथायरायडिज्म होने का सबसे आम कारण है। ये एक तरह की autoimmune condition होती है जिसमे हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम एक antibody create करता है जिसे कारण थायराइड ग्लैंड अधिक मात्रा में थायराइड hormone release करने लगता है। यदि परिवार में किसी एक व्यक्ति को ये बीमारी है तो और लोगों को भी समस्या हो सकती है। आमतौर पर ये प्रॉब्लम कम उम्र की औरतों को होती है।
थाइरोइडाइटिस :- थायराइड की सूजन को थाइरोइडाइटिस कहते हैं। Thyroiditis में किसी वायरस या इम्यून सिस्टम में प्रॉब्लम की वजह से थायराइड ग्लैंड में स्वेलिंग हो जाती है।
Thyroiditis कई प्रकार का हो सकता है।
- सबऐक्यूट :- किसी अनजान कारण से अचानक होने वाला Thyroiditis, जो कुछ महीनो बाद अपने आप ही ठीक हो जाता है।
- प्रसवोत्तर :- इस तरह की Thyroiditis महिलाओं को प्रेगनेंसी के बाद affect करती है। बच्चा पैदा होने के बाद 10 में से 1–2 महिलाओं को ये समस्या हो जाती है। आमतौर पर ये problem एक-दो महीने तक बनी रहती है और उसके बाद कुछ महीनो तक hypothyroidism की समस्या पैदा हो जाती है। लेकिन अच्छी बात ये है कि कुछ समय के बाद अधिकतर मामलों में थायराइड normal हो जाता है।
थायराइड नोड्यूल : — इस समस्या में थायराइड ग्लैंड में एक या उससे ज्यादा नोड्यूल grow हो जाते हैं जिसे ग्लैंड की एक्टिविटी बढ़ जाती है और आपके खून में अधिक मात्रा में थायराइड हॉर्मोन release होने लगता है।
आयोडीन की प्रचुरता : — यदि आप अधिक मात्र में आयोडीन का सेवन करते हैं तो भी hyperthyroidism की समस्या पैदा हो सकती है।
थायराइड मेडिकेशन : — अधिक मात्र में थायराइड hormone medication लेने से भी hyperthyroidism हो सकता है। यदि आपका hypothyroidism का इलाज चल रहा है तो कभी भी बिना डॉक्टर से पूछे दवा का extra dose न लें, भले ही आप पहले दवा खाना भूल गए हों।
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण
अक्सर Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण बहुत साफ़ नहीं होते और अन्य बीमारियों से मिलते जुलते होते हैं। Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म के ज्यादातर मरीजों में थायराइड Gland बड़ा हो जाता है, जिसे हम घेंघा या goitre भी कहते हैं। ऐसे में आपको गले के अगले भाग में एक लम्प दिखाई या महसूस होता है। इसके आलावा Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म के ये symptoms हो सकते हैं:
- चिंता, घबराहट और चिड़चिड़ापन
- भूख बढ़ने के बावजूद वजन का कम होना
- मल त्यागने की frequency बढ़ना और ढीली टट्टी होना
- सोने में दिक्कत होना
- दोहरी दृष्टि की समस्या होना
- आँखों का बाहर निकलना
- बालों की समस्या जैसे की टूटना, पतला होना और झड़ना
- Heart beat का irregular होना, खासतौर से वृद्ध लोगों में
- Menstrual cycle में बदलाव होना, periods की frequency कम होना शामिल है।
- मांसपेशियों में कमजोरी, विशेष रूप से जांघों और ऊपरी बाहों में
- हाथों का कांपना
- पसीना आना
- त्वचा का पतला होना
यह भी जाने :- टाइफाइड क्या है ? कारण, लक्षण और उपचार। Typhoid ? Causes Symptoms and Best Diagnosis
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म का पता कैसे चलता है?
इसका पता इन टेस्ट्स से चल सकता है:
- Thyroid-stimulating hormone (TSH) Blood test
- थायराइड अल्ट्रासाउंड
- थायराइड स्कैन
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म का इलाज
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म का इलाज आपकी उम्र, सेहत, symptoms की severity और overactive थायराइड के असल कारण को देखकर किया जाता है। डॉक्टर आपको इन तरीको से Treatment दे सकता है:
Anti-thyroid drugs : — इसमें propylthiouracil (PTU) and methimazole (Tapazole), जैसी दवाएं दी जाती हैं जो थायराइड ग्लैंड को नए हॉर्मोन पैदा करने से रोकता है। हालाँकि, इसके कुछ side effects हो सकते हैं।
सर्जरी द्वारा उपचार : — सर्जरी द्वारा पूरा या थायराइड का कुछ हिस्सा निकाला जाना, जिसे thyroidectomy कहते हैं। इस तरीके में भी व्यक्ति को बाकी की ज़िन्दगी under-active thyroid का इलाज करना पड़ता है।
बीटा-ब्लॉकर्स :- ह्रदय गति को कम करने के लिए इनका प्रयोग होता है। इसमें थायराइड हॉर्मोन का लेवल नहीं घटता लेकिन हार्ट-रेट सही हो जाती है।
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म की वजह से होने वाली कॉम्प्लिकेशन | complications
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म होने पर इसका उचित इलाज करना बेहद ज़रूरी है। ऐसा न करने पर गंभीर और जानलेवा समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म से जुड़ी प्रमुख जटिलताएं हैं:
- Irregular heart rhythm (atrial fibrillation) अनियमित हार्ट रेट
- ह्रदय का फेल होना
- गर्भपात
- ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डियों का टूटना ( Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म की वजह से bones से calcium तेजी से ख़त्म होता है)
Hyperthyroidism | हाइपरथायरायडिज्म के सिम्पटम्स का तेजी से बिगड़ना Thyrotoxic crisis कहलाता है और इसका फ़ौरन इलाज कराना बेहद ज़रूरी है।
इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- मूर्छित होना
- उलझन होना
- जागरूकता में कमी आना
- बुखार होना
- बेचैनी होना,
- नाड़ी का बहुत तेज चलना
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म को underactive thyroid कह कर भी बुलाया जाता है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति का थायराइड ग्लैंड उचित मात्रा में थायराइड hormone नहीं produce करता। अगर शरीर में ये हॉर्मोन कम हो जाता है
ये दो प्रकार का हो सकता है:
- यदि directly थायराइड ग्लैंड में समस्या की वजह से Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म होता है तो उसे Primary Hypothyroidism कहते हैं।
- यदि किसी और समस्या की वजह से थायराइड ग्लैंड की थायराइड हॉर्मोन प्रोड्यूस करने की क्षमता बाधित होती है तो उसे Secondary Hypothyroidism कहते हैं।
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म होने के कारण
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म का सबसे common कारण है Hashimoto’s thyroiditis. ये एक तरह का autoimmune disorder है जिसकी वजह से थायराइड ग्लैंड में सूजन जो जाती है। हैशीमोटोज थ्य्रोदिआइत्स होने पर शरीर कुछ ऐसे antibodies produce करता है जो थायराइड ग्लैंड पर अटैक कर उसे नष्ट कर देती हैं। Thyroiditis viral infection की वजह से भी हो सकता है।
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म के अन्य कारण इस प्रकार हैं:
- गले के आस-पास रेडिएशन थेरेपी : जो कि कैंसर का इलाज करने के दौरान दी जा सकती है।
- Radioactive iodine treatment : अगर overactive thyroid gland के उपचार में RAI का प्रयोग होता है तो radiation की वजह से थायराइड ग्लैंड के सेल्स नष्ट हो जाते हैं और Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है।
- थायराइड सरजरी : यदि किसी इलाज में थायराइड ग्लैंड को हटा दिया जाता है, for example: hyperthyroidism treat करने के लिए तो व्यक्ति को Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है।
- खाने में आयोडीन की कमी : हमारा शरीर खुद iodine नहीं बनाता है, इसलिए हमें इसे खाने में लेना चाहिए. इसके लिए आयोडीन युक्त नमक, अंडे, मछलियाँ और dairy products का सेवन करना चाहिए।
अधिकतर ये समस्या महिलाओं, खासतौर से अधिक उम्र की महिलाओं को होती है। अगर आपके घर में किसी को autoimmune disease है तो भी आप Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म से ग्रस्त हो सकते हैं.
कुछ और रिस्क फैक्टर्स हैं:
- प्रजाति (being white or Asian)
- उम्र (अधिक उम्र)
- असमय बालों का सफ़ेद होना
- Autoimmune disorders, जैसे कि: type 1 diabetes, multiple sclerosis, rheumatoid arthritis, celiac disease, Addison’s disease, pernicious anemia, or vitiligo
- द्विध्रुवी विकार (Bipolar disorder)
- डाउन सिंड्रोम
- टर्नर सिंड्रोम
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
इसके लक्षण बहुत साफ नहीं होते और अन्य बीमारियों से मैच कर सकते है:
- Menstrual cycle में बदलाव
- कब्ज
- डिप्रेशन
- बालों का झड़ना व रुखा होना
- ड्राई स्किन
- थकावट
- Cold के प्रति अधिक sensitive होना
- धीमी ह्रदय गति
- Thyroid gland में सूजन (घेंघा)
- अचानक से वजन बढ़ना या वजन कम करने में दिक्कत होना।
बच्चों में Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म के सिम्पटम्स जल्दी पता नहीं चलते। कुछ लक्षण निम्न हैं:
- ठंडे हाथ-पाँव
- कब्ज
- बहुत अधिक नींद आना
- कर्कश रोना
- कम या बिलकुल नहीं बढ़ना
- लगातार पीलिया होना
- सूजा हुआ चेहरा
- पेट की सूजन
- जीभ में सूजन
यह भी जाने :- टाइफाइड क्या है ? कारण, लक्षण और उपचार। Typhoid ? Causes Symptoms and Best Diagnosis
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म का पता कैसे चलता है?
इसका पता लगाने के लिए कुछ ब्लड टेस्ट्स होते हैं जिसमे हॉर्मोन का लेवल पता लगाया जाता है। डॉक्टर आपको इन टेस्ट्स के लिए कह सकता है:
- Thyroid-stimulating
- T4 (thyroxine)
- Thyroid ultrasound
- Thyroid scan
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म का इलाज
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के लिए आपको synthetic (man-made) thyroid hormone T4 prescribe किया जा सकता है। जो आप एक गोली के रूप में ले सकते हैं। ध्यान रहे कि इसे लेने से पहले आप डॉक्टर को बाकी चल रही दवाओं या food-supplements और diet के बारे में ज़रूर बताएं।
इस बीमारी के हो जाने पर आपको समय-समय पर थायराइड हॉर्मोन लेवल जांचने के लिए खून की जांच करानी पड़ती है और मौजूदा हॉर्मोन लेवल के हिसाब से दवाएं लेनी पड़ती है।
Hypothyroidism | हाइपोथायरायडिज्म से होने वाली कॉम्प्लिकेशन | complications
- Heart problems दिल की बीमारी
- Infertility या बांझपन
- जॉइंट पेन
- मोटापा
- गर्भवती महिलाओं में ये समस्या होने वाली शिशु के विकास को बाधित कर सकती है। प्रेगनेंसी के पहले महीनो में बच्चे को अपनी माँ से ही थायराइड हॉर्मोन प्राप्त होता है और यदि माँ को ये समस्या है तो बेबी के mental development में दिक्कत आ सकती है।
- यदि थायराइड हॉर्मोन का लेवल बहुत ही कम हो जाता है तो व्यक्ति को hypothyroidism का सबसे severe form myxedema हो सकता है। इस कंडीशन में इंसान कोमा में जा सकता है या उसके शरीर का तापमान बहुत नीचे गिर सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है।
Thyroid | थायराइड के कुछ घरेलू उपचार –
यहां हम स्पष्ट कर दें कि ये घरेलू नुस्खे हर किसी पर असर करें संभव नहीं है, क्योंकि हर किसी की शारीरिक क्षमता व थायराइड अवस्था अलग-अलग होती है। ऐसे में कुछ नुस्खे किसी पर असर कर सकते हैं और किसी पर नहीं। इसलिए, इलाज के साथ-साथ इन घरेलू नुस्खों को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
1. अश्वगंधा Ashwagandha
सामग्री : अश्वगंधा का कैप्सूल (500mg)
प्रयोग का तरीका : रोज अश्वगंधा का कैप्सूल खा सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग ? प्रतिदिन एक या दो कैप्सूल का सेवन कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद : अश्वगंधा को एडापोजेनिक जड़ी-बूटियों की श्रेणी में रखा गया है। एडाप्टोजेन शरीर को तनाव से लड़ने में मदद कर सकता है। जानवरों पर हुए प्रयोग में यह पाया गया है कि अश्वगंधा थाइराइड हार्मोन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। वहीं, एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार अश्वगंधा हाइपो थायराइड के मरीजों के इलाज में मददगार साबित हो सकता है। साथ ही इसका असर व्यक्ति के थाइराइड की स्थिति पर भी निर्भर करता है। इसलिए, डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करना चाहिए।
2. केल्प Kelp
सामग्री : केल्प सप्लीमेंट, जिसमें 150–175 माइक्रोग्राम आयोडीन हो।
प्रयोग का तरीका : केल्प के इस सप्लीमेंट का सेवन करें।
कितनी बार करें प्रयोग ? :- कुछ हफ्तों या महीनों तक प्रतिदिन एक बार इसका सेवन कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद : केल्प एक प्रकार की समुद्री खरपतवार होती है, जो समुद्र की गहराई में पाई जाती है। इसे आयोडीन का प्रमुख स्रोत माना जाता है । अगर किसी को आयोडीन की कमी से होने वाली थाइराइड की समस्या है, तो केल्प इस पर प्रभावी साबित हो सकता है। फिलहाल, इस संबंध में अभी और शोध की आवश्यकता है।
3. रोजमेरी एसेंशियल आयल Rosemary Essential Oil
सामग्री : रोजमेरी तेल की तीन-चार बूंदें, एक चम्मच नारियल तेल
प्रयोग का तरीका : रोजमेरी तेल को नारियल तेल में मिक्स कर दें। अब इस तेल को थायराइड के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर लगाएं। ये पॉइंट गले, टांग के निचले हिस्से और पैर के नीचे होते हैं। इस बारे में ऑनलाइन या डॉक्टर से जानकारी मिल सकते हैं। इन पॉइंट्स पर करीब दो मिनट तक मालिश करें। रोजमेरी तेल की कुछ बूंदें नहाने वाले पानी में डालकर 15 से 20 मिनट तक उसमें बैठ भी सकते हैं। अगर थायराइड के कारण सिर के बाल उड़ रहे हैं, तो रोजमेरी तेल से सिर की मालिश भी कर सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग ? :- जल्द आराम पाने के लिए प्रतिदिन उपयोग कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद : रोजमेरी तेल में रोजमेरिक एसिड होता है, जो हायपरथायरॉडिज्म के लिए लाभकारी हो सकता है। यह थाइराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (Thyroid stimulating hormone -TSH) पर असर कर थाइराइड की परेशानी में असर कर सकता है। इसका प्रभाव कुछ हद तक मरीज की स्थिति पर भी निर्भर करता है कि उसे किस तरह की समस्याएं हो रही हैं । थाइराइड की दवा के साथ अगर रोजमेरी का उपयोग किया जाए, तो थाइराइड में होने वाली परेशानियों से थोड़ा-बहुत आराम मिल सकता है।
4. गुग्गुल Guggul
सामग्री : गुग्गुल का 25mg सप्लीमेंट
प्रयोग का तरीका : प्रतिदिन 25mg सप्लीमेंट का सेवन कर सकते हैं।
कितनी बार करें प्रयोग ? :- वैसे तो प्रतिदिन एक से दो बार इसका सेवन किया जा सकता है, लेकिन बेहतर होगा कि पहले डॉक्टर से जरूर पूछा जाए।
इस प्रकार है फायदेमंद :– गुग्गुल को गुग्गुल के पेड़ से प्राप्त किया जाता है। गुग्गुल में गुग्गुलुस्टेरोन पाया जाता है, जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी व कोलेस्ट्रोल को कम करने वाले गुण के साथ-साथ थायराइड को सामान्य रूप से काम करने में मदद करने की क्षमता होते हैं । यह थाइराइड हार्मोन को सही तरीके से काम करने में मदद कर सकता है। जानवरों पर हुए शोध में पाया गया है कि गुग्गुल का उपयोग हायपोथायरॉडिज्म में सुधार कर सकता है ।
5. लहसुन Garlic
सामग्री : लहसुन की एक या दो कलियां
प्रयोग का तरीका : रोज सुबह लहसुन की एक या दो कलियों का सेवन किया जा सकता है। अगर लहसुन खाने का मन नहीं करता है, तो लहसुन को सब्जी में उपयोग करके खा सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद :– स्वास्थ्य के लिए लहसुन के कई फायदे हैं और थाइराइड भी उन्हीं में से एक है। चूहों पर हुए एक शोध के अनुसार, लहसुन का थायराइड में वृद्धि के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रभाव देखा गया है। लहसुन में एलिसिन व फ्लेवोनाइड जैसे कई कंपाउंड पाए जाते हैं, जो थायराइड पर अपना असर दिखा सकते हैं । ऐसे में आप थाइराइड की दवा के साथ-साथ डॉक्टर के निर्देशानुसार लहसुन का सेवन भी कर सकते हैं।
6. अदरक Ginger
सामग्री :– थोड़ा-सा अदरक, एक कप पानी, थोड़ा-सा शहद
प्रयोग का तरीका :– सबसे पहले अदरक को बारीक टुकड़ों में काट लें। इसके बाद पानी को गर्म करें और अदरक के टुकड़े उसमें डाल दें। अब पानी को हल्का गर्म होने के लिए रख दें। फिर उसमें शहद डालकर मिक्स करें और चाय की तरह पिएं। इसके अलावा, खाना बनाने में भी अदरक का इस्तेमाल किया जा सकता है। अदरक को ऐसे ही साबुत चबाकर भी खाया जा सकता है।
इस प्रकार है फायदेमंद :– अदरक थायराइड के सही तरह से काम करने के लिए एक महत्वपूर्ण घरेलू उपाय हो सकता है। अदरक में जिंक, पोटैशियम और मैग्नीशियम होता है। साथ ही इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण मौजूद होते हैं, जो इसे अच्छा घरेलू उपचार बनाते हैं। थायराइड के इलाज के लिए अदरक का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है । हालांकि, इसके साथ आपको डॉक्टर द्वारा बताए गई दवा का सेवन करना भी जरूरी है।
7. अलसी Flaxseeds
सामग्री :– एक चम्मच अलसी का पाउडर, एक गिलास दूध या फलों का रस
प्रयोग का तरीका :– अलसी के पाउडर को पानी या फिर फलों के रस में डालें। अब इसे अच्छी तरह मिक्स करें और पिएं।
कितनी बार करें प्रयोग ? :- आप इस मिश्रण को प्रतिदिन एक से दो बार पी सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद :– थाइराइड ग्लैंड के सही तरीके से काम करने के लिए अलसी भी महत्वपूर्ण घरेलू उपाय हो सकता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है और जो हायपोथायरॉडिज्म के जोखिम से बचाव चाहते हैं, वो इसका सेवन कर सकते हैं । अगर किसी को हायपोथायरॉडिज्म है, तो वो डॉक्टर की सलाह के अनुसार अलसी का सेवन कर सकते हैं। वहीं, एक अन्य मेडिकल रिसर्च के अनुसार अलसी का ज्यादा या लंबे वक्त तक उपयोग गोइटर या आयोडीन कमी के कारण होने वाली समस्या का कारण भी हो सकता है । इसलिए, इसका सेवन डॉक्टर या विशेषज्ञ की देखरेख में करें।
8. तुलसी Holy Basil
सामग्री :– एक छोटा सॉसपैन, आठ से दस तुलसी के पत्ते, जरूरत के अनुसार पानी, एक चम्मच नींबू का रस (वैकल्पिक), आधा चम्मच बारीक कटा अदरक (वैकल्पिक), एक या दो इलायची, मिठास के लिए शहद या चीनी
प्रयोग का तरीका :– एक सॉस पैन में पानी को उबाल लें। फिर इसमें तुलसी के पत्ते, अदरक और इलायची को डालकर लगभग 10 मिनट तक उबलने दें। अब चाय को छानकर इसमें शहद या चीनी और नींबू के रस को डालकर गर्मा-गर्म पिएं। अगर आपको तुलसी की चाय नहीं पसंद, तो आप सिर्फ तुलसी के पत्तों का भी सेवन कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद :– तुलसी को कई वर्षों से आयुर्वेदिक औषधि की तरह उपयोग किया जा रहा है। अगर बात करें थाइराइड की, तो इसमें एंटी-थायराइड गुण मौजूद होते हैं और इसी आधार पर थायराइड के इलाज के लिए तुलसी का सेवन करने का सुझाव दिया जा सकता है। यहां हम स्पष्ट कर दें कि इससे संबंधित कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण अभी उपलब्ध नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि आप इस बारे में एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
9. नारियल तेल Coconut oil
सामग्री :– एक से दो चम्मच नारियल तेल, एक गिलास दूध
प्रयोग का तरीका :– रोज एक गिलास दूध में नारियल तेल मिलाकर सेवन कर सकते हैं। अगर दूध में डालकर पीना नहीं पसंद, तो नारियल के तेल का उपयोग खाना बनाने के लिए कर सकते हैं।
इस प्रकार है फायदेमंद :– थायराइड रोग का उपचार करने के लिए नारियल तेल अच्छा उपाय साबित हो सकता है। यह थायरायड ग्रंथि को सही तरीके से काम करने के लिए मदद कर सकता है । अगर आप थाइराइड की दवा ले रहे हैं, तो बेहतर होगा आप डॉक्टर से भी इस बारे में एक बार सलाह जरूर लें।
थायराइड चार्ट — Thyroid Chart
थायराइड का पता लगाने के लिए थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) के स्तर की जांच की जाती है। सामान्य टीएसएच (TSH) के स्तर के बारे में हम नीचे जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं ।
- सामान्य टीएसएच (TSH) 0.45 से — 5.0 mIU/L (मिली-इंटरनैशनल यूनिट पर लीटर) होता है।
- अगर टीएसएच का यह स्तर सामान्य से ज्यादा हो, तो इसका मतलब यह है कि हार्मोंस का निर्माण कम हो रहा है। इसे हाइपोथायरॉइडज्म कहा जाता है।
- वहीं, अगर टीएसएच सामान्य से कम हो, तो इसका मतलब यह है कि हार्मोंस का निर्माण ज्यादा हो रह है। इसे हाइपरथायरॉइडज्म कहा जाता है।
थायराइड में क्या खाएं, क्या न खाएं — Diet for Thyroid
थायराइड की समस्या में अगर सुधार करना है, तो सही तरीके से थायराइड का उपचार, कुछ घरेलू उपाय और साथ ही डाइट में सुधार की भी जरूरत है। नीचे हम थाइराइड में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं इसके बारे में जानकारी दे रहे हैं ।
क्या खाएं :
- पोषक तत्व युक्त खाद्य पदार्थ जैसे — हरी सब्जियां, फल या फलों के जूस व नट्स का सेवन किया जा सकता है।
- मछली और बीन्स के जरिए प्रोटीन का सेवन करें।
- खाना बनाने के लिए ऑलिव आयल यानी जैतून का तेल इस्तेमाल कर सकते हैं।
- खाने में डाइटरी फाइबर की मात्रा को बढ़ाएं, क्योंकि यह पाचन क्रिया में मदद कर सकता है।
- ऐसे फैट का चुनाव करें, जो एलडीएल (LDL) यानी हानिकारक कोलेस्ट्रोल को कम कर सके। इसके लिए बीज, नट्स, फलियां का चुनाव कर सकते हैं।
क्या न खाएं :
- कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें या कम से कम सेवन करें। ये ह्रदय संबंधी समस्याओं और कैंसर का कारण हो सकता है।
- सैचुरेटेड फैट जो मीट और चीज़ प्रोडक्ट से मिलता है, उसका सेवन न करें।
- सॉफ्ट ड्रिंक या ऐसे ही अन्य पेय पदार्थों का सेवन न करें।
- जंक फूड जैसे — चिप्स, कैंडी, बर्गर व पिज्जा आदि खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
थाइराइड में खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में अधिक जानने के लिए आप स्टाइलक्रेज के थाइराइड डाइट चार्ट लेख को पढ़ सकते हैं। यहां इस संबंध में विस्तार से बताया गया है।
थायराइड से बचाव — Thyroid Prevention Tips
थायराइड में परहेज करना भी जरूरी है। इसलिए, नीचे दिए गए कुछ टिप्स को फॉलो करके व्यक्ति कुछ हद तक थायराइड से बच सकता है।
- आयोडीन युक्त नमक का सेवन करें।
- स्वस्थ रहने के लिए नियमित रूप से योग व व्यायाम करें।
- नियमित रूप से वजन चेक कराते रहें।
- धूम्रपान, शराब व कैफीन से दूर रहें।
- ज्यादा तली-भुनी, जंक फूड और मिर्च-मसाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- जैसा कि हमने ऊपर पहले ही जानकारी दी है कि गर्भवती महिलाओं को भी थाइराइड का जोखिम हो सकता है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान और बाद में भी थायराइड जरूर चेक करवाएं।
- हर 5 साल में थायराइड की जांच करवाते रहें। खासकर, 30 साल के बाद तो यह और जरूरी हो जाता है। हमने लेख में ऊपर भी बताया है कि 30 साल से ऊपर के व्यक्ति को थाइराइड का खतरा हो सकता है ।
यह बात तो स्पष्ट है कि अगर शुरू से नियमित दिनचर्या और संतुलित खानपान का पालन किया जाए, तो थायराइड क्या, कोई भी बीमारी तंग नहीं कर सकती। ‘थायराइड क्यों होता है’, ‘थायराइड ग्रंथि किसे कहते हैं’ और ऐसी ही अन्य थाइराइड की जानकारी आपको इस लेख में मिल गई होगी। साथ ही ध्यान रहे कि थायराइड का उपचार और थायराइड की दवाई का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
वहीं, बात करें लेखे में बताए गए घरेलू उपायों की, तो ये थाइराइड के दौरान होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने और थायराइड की दवाई के असर को बढ़ाने का काम कर सकते हैं। अगर आप थाइराइड की जानकारी से जुड़ा कोई भी सवाल पूछना चाहते हैं, तो उसे कमेंट बॉक्स में हमें लिख भेजें।